BNS Section 85 explain in Hindi - बीएनएस धारा 85 bailable or not bailable

बीएनएस धारा 85 क्या है? (BNS Section 85), यह कब लागू होती है - सजा, जमानत और बचाव!

New Delhi/ Write Law24.                               


  किसी भी इंसान के लिए उसका घर के लोग व उसके परिवार के लोग का साथ होना सबसे सुरक्षित माना जाता है। लेकिन कई बार देखा जाता है कि कुछ महिलाएं अपने खुद के घर में भी सुरक्षित महसूस नहीं करती वह होती है। वहां पर भी उस महिला को मानसिक व शारीरिक रुप से प्रताड़ित किया जाता है,उसके पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा।कुछ महिलाओं को हर दिन किसी ना किसी कारण से अपने ही घर में परेशान किया जाता है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों निपटने के लिए BNS के अंदर बहुत सारे कानून बनाए गए है। आज हम एक ऐसे ही मामले से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की एक मुख्य धारा 85 के बारे मे बताएंगे।

इससे पहले इस अपराध में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498a के तहत केस दर्ज किए जाते थे। लेकिन अब इस कानून को और भी सख्त करके भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 85 से बदल दिया गया है। इसलिए जिन महिलाओं को इन नए कानूनों की जानकारी नहीं है, उन्हें ऐसे अपराधों के खिलाफ कैसे कार्यवाही करनी है। आज हम इस लेख के द्वारा विस्तार से जानकारी देंगे, साथ ही ऐसे लोग जिन पर इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। उन्हें भी इस लेख की मदद से आगे की कार्यवाही की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

बीएनएस की धारा 85 क्या है - BNS Section 85 in Hindi.

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में बताया / लिखा गया है कि "जो कोई भी व्यक्ति किसी महिला का पति या पति का रिश्तेदार होने के नाते, किसी भी महिला के साथ क्रूरता (Cruelty) करता है, उस व्यक्ति पर नए कानून बीएनएस की धारा 85 के तहत केस दर्ज कर कार्यवाही की जाएगी।

यह धारा ऐसे व्यक्ति पर लागू होती है जिसमें किसी महिला का पति या उसके पति का कोई भी रिश्तेदार उस महिला पर क्रूरता (किसी को पीड़ा पहुंचाना) करता है। इसमें महिला को पहुँचाया गया शारीरिक और मानसिक नुकसान व परेशान करना दोनों ही शामिल हैं। शारीरिक क्रूरता (Physical Cruelty) में ऐसे कार्य शामिल होते है, जो शारीरिक दर्द या चोट पहुँचाते हैं, जबकि मानसिक क्रूरता (Mentally Harassment)में उत्पीड़न, अपमान करना, धमकी देना, जैसे कई अन्य गलत व्यवहार शामिल है।



बीएनएस की धारा 85 के जुर्म की मुख्य बातें।

यह कानून उन महिलाओं की मदद करने के लिए बनाया गया है जिनके साथ उनके पति या उनके पति के किसी रिश्तेदार द्वारा बुरा व्यवहार किया जाता है।

इसमें ऐसी कई चीजें शामिल होती है जो किसी महिला को शारीरिक को चोट (Injury) पहुँचाता हैं, जैसे मारना या धक्का देना आदि, लेकिन ऐसी चीजें भी शामिल हैं। जो उसे अंदर से बुरा महसूस कराती हैं, जैसे बुरा-भला कहना, धमकी देना या लगातार अपमानित (Insult) करना।

अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ ऐसा कोई भी काम करता है, तो उस पर धारा 85 के उल्लंघन (Violation) करने के तहत जेल व जुर्माने की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

यह कानून यह सुनिश्चित करने के लिए है कि महिलाएँ अपने घरों में सुरक्षित महसूस करें और डरें नहीं। इसके साथ इस कानून का उद्देश्य होता है कि उन सभी महिलाओं को ऐसे अपराध होने पर समय पर न्याय (Justice) मिले।

ऐसे कार्य जिनके करने पर BNS 85 के तहत कार्रवाई की जा सकती है

शारीरिक उत्पीड़न(Physically Assault):-इसमें मारना, पीटना, चोट पहुंचाना, या अन्य किसी प्रकार का शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाना शामिल होता है।

मानसिक उत्पीड़न(Mentally-Harassment):-इसमें गाली देना,अपमान करना, डराना- घमकाना,मानसिक रूप से प्रताड़ित करना या अन्य भावनात्मक (Emotional) रूप से प्रताड़ित करना शामिल है।

यौन उत्पीड़नSexual Abuse):-यौन उत्पीड़न, या यौन शोषण ( के किसी भी रूप को शामिल करना)

आर्थिक शोषण: अपनी पत्नी को धन, संपत्ति, या अन्य संसाधनों से वंचित करना।

सामाजिक बहिष्कार: अपनी पत्नी को परिवार, दोस्तों, या समाज से अलग कर देना, उन्हें किसी से भी मिलने या बात करने से रोकना।

घरेलू कामों में जबरदस्ती: इसमें किसी महिला ज्यादा से ज्यादा काम करने के लिए परेशान करना या अपमानजनक घरेलू काम करने के लिए मजबूर करना शामिल है।

संतान उत्पत्ति के लिए दबाव: एक पति द्वारा अपनी पत्नी की इच्छा ना होने पर भी एक या अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए दबाव डालना।

दहेज उत्पीड़न: अपनी पत्नी से दहेज (Dowry) की मांग करना, दहेज के लिए प्रताड़ित करना, या दहेज के कारण नुकसान पहुंचाना शामिल है।

गैर-कानूनी तरीकों से पत्नी को घर से निकालना: किसी व्यक्ति के द्वारा पत्नी को घर से जबरदस्ती या अवैध (illegal) तरीके से निकालना।

बीएनएस धारा 85 में सज़ा - Punishment Of BNS Section 85

बीएनएस की धारा 85 में सजा (Punishment) के लिए बताया गया है, कि किसी महिला का पति या उसके पति के परिवार का कोई भी सदस्य उस महिला को किसी भी प्रकार से प्रताड़ित (Tortured) करने का दोषी (Guilty) पाया जाएगा। उसे ऐसा गंभीर अपराध करने के लिए 3 वर्ष तक की जेल की सजा व जुर्माने से भी दंडित किया जा सकता है।

यदि पीड़ित महिला (Victim Women) के साथ इससे भी ज्यादा गंभीर कोई अपराध किया जाता है, तो ऐसे मामलों में अन्य आपराधिक धाराओं (Criminal Sections) के साथ सजा को बढ़ाया जा सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 में जमानत कब व कैसे मिलती है

बीएनएस की धारा 85 महिलाओं के साथ क्रूरता के अपराध को बताने वाला एक गंभीर अपराध होता है, जिसे संज्ञेय अपराधों (Cognizable Offence) की श्रेणी में रखा गया है। इसका मतलब है कि पुलिस इस अपराध के आरोपी व्यक्ति (Accused Person) को बिना किसी वारंट या अनुमति के गिरफ्तार कर सकती है। परन्तु इस अपराध को जमानती (Bailable) रखा गया है। यानी इस अपराध का आरोपी व्यक्ति गिरफ्तारी के बाद जमानत के लिए आवेदन कर जमानत प्राप्त कर सकता है।

जमानत के लिए जानने योग्य कुछ बाते:-

किसी व्यक्ति को जमानत देनी है या नहीं इस पर न्यायालय का अंतिम निर्णय होता है। जिस के लिए कुछ बातों पर विचार किया जाता है।

क्रूरता के अधिक गंभीर कार्यों के कारण जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।

यदि न्यायालय को लगता है कि आरोपी मुकदमे से पहले भाग सकता है, तो जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।

यदि अभियुक्त (Accused) द्वारा गवाहों (Witnesses) को बदलने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का शक होता है, तो जमानत देने से इनकार किया जा सकता है।

न्यायालय पीड़ित की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। यदि आरोपी व्यक्ति को रिहा करने से पीड़ित को खतरा हो, तो जमानत अस्वीकार की जा सकती है।

महिला अपनी शिकायत(Complaint) कैसे करें और शिकायत लिखते समय किन-किन बातों का रखें ध्यान।


      कभी-कभी कुछ मामले ऐसे भी देखे जाते है जिनमें कुछ महिलाओं के द्वारा इस प्रकार के कानूनों का गलत इस्तेमाल (झूठा केस) किया जाता है। जिसकी वजह से बेगुनाह (Innocent) लोगों पर कानूनी कार्यवाही की जाती है। इसलिए यदि आपने कोई अपराध नहीं किया है, तो आप अपने बचाव के लिए इन सभी उपायों का इस्तेमाल कर सकते है।

मुकदमा दर्ज होने के बाद घबराएं नहीं और जल्दबाजी में कोई भी बयान न दें।

इसके बाद सबसे पहले किसी अनुभवी वकील के पास जाए और उसको सारी बाते बताए।

एक अनुभवी वकील आपकी कानूनी प्रक्रिया को समझने और आपके अधिकारों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।

आपके पास यदि कोई ऐसा सबूत है, जो आपको निर्दोष साबित कर सके। उस सबूत को संभाल कर रखे।

यदि आपको गिरफ्तार किया गया है, तो जमानत के लिए जल्द से जल्द आवेदन करें। आपका वकील इस प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकता है।


अदालत में सभी सुनवाईयों (Hearings) में उपस्थित रहें और अपने वकील के निर्देशों का पालन करें। अपनी बात स्पष्ट और ईमानदारी से रखें।

यदि आपके पास कोई गवाह है जो गवाही दे सके कि आप निर्दोष है, तो अपने पक्ष में गवाह पेश करें।

कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा रखे यदि आप सच में निर्दोष होगे तो आप पर दर्ज केस को खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन अगर आपने अपराध किया होगा तो न्यायालय द्वारा आपको सजा भी दी जाएगी। इसलिए धैर्य रखें और अपने वकील पर भरोसा रखें।

इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कार्य हो सकते है जिनके द्वारा किसी महिला को प्रताड़ित किया जाता है। ऐसे अपराध करने वाले व्यक्तियों को सजा देने के लिए ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की ये धारा बनाई गई है।

अगर आप किसी तरह की कानूनी सहायता चाहते हैं, तो हम से सम्पर्क कर सकते हैं 

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