125 धारा खत्म। पत्नी को मिले नए अधिकार। Wife Maintenance Right Under New Criminal Law.

पत्नी को नए कानून में कौन-कौन से अधिकार दिए गए हैं? 

wife maintenance case mein naye Kanoon ki kaun si dharayn lagengi

  ब धारा 125 सीआरपीसी की जगह हमारे देश भारत में लागू हुए तीन नए कानून में से एक कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 चैप्टर 10,जिसके तहत पत्नी अपने पति से मेंटेनेंस ले सकती है या कह सकते हैं मेंटेनेंस क्लेम कर सकती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 कहती है कि कोई भी पति जिसके पास पर्याप्त साधन हैं और वह भरण पोषण करने में सक्षम है और उसके पास इनकम का अच्छा स्रोत है परंतु वह इसके बावजूद भी अपनी पत्नी को घर खर्च नहीं दे रहा है पर्सनल खर्च के लिए पैसे नहीं दे रहा है या यह कह सकते हैं भरण पोषण नहीं दे रहा है अपनी पत्नी को।
 पत्नी को यह अधिकार है कि वह धारा 144 भारतीय नागरिक संहिता में पति के खिलाफ मेंटेनेंस का केस कोर्ट में फाइल कर सकती है और पति से मेंटेनेंस ले सकती है जिसे हम भरण पोषण भी कह सकते हैं। और यह पत्नी का कानूनी अधिकार होगा। अपने पति से भरण पोषण या खर्चा पानी मांगने का। 
   

पत्नी को पति से मेंटेनेंस लेने के लिए कौन से तथ्य साबित करने होंगे। 
   पहले तो पत्नी को यह साबित करना पड़ेगा कि वह उसकी कानूनी तौर पर पत्नी है और उसे अपने विवाह से संबंधित कागजातों को कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगा जिसमें यह साबित हो कि वह उसे व्यक्ति की पत्नी है जिसके खिलाफ उसने मेंटेनेंस का केस सारा 144 के अंदर फाइल किया है। पत्नी को यह भी साबित करना पड़ेगा कि वह अपने आप का भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं और ना ही उसके पास कोई इनकम का साधन है ना ही कोई जॉब है और ना ही कोई उसके पास रोजगार है जिस वजह से वह अपने आप को मेंटेन करने मे सक्षम नहीं है और वह अपना भरण पोषण नहीं कर सकती। अगर पत्नी कोर्ट में यह साबित कर देती है कि वह अपना भरण पोषण करने में सक्षम नहीं है और पति के पास कमाई का साधन है या सोर्स ऑफ़ इनकम है परंतु उसके बावजूद भी पति अपनी पत्नी को जानबूझकर भरण पोषण के लिए खर्च नहीं देता तो पत्नी कोर्ट में मेंटेनेंस मांग सकती है अपने पति से।

BNNS ki kaun si Dhara mein wife maintenance ka case file kar sakti hai

अगर पति अपनी पत्नी के मेंटेनेंस को खारिज करना चाहता है।
  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144(B) sub section 4 जो कहता है कि एक पत्नी को अपने पति से भरण पोषण या मेंटेनेंस मांगने का अधिकार नहीं होगा। जब पत्नी एडल्ट्री में रह रही हो यानी कि पत्नी का किसी और आदमी के साथ संबंध है ऐसे में पत्नी को भरण-पोषण का अधिकार नहीं मिलेगा और वह अपने पति से मेनटेनेंस/ भरण पोषण नहीं मांग सकती है। लेकिन यह साबित करने की जिम्मेदारी पति की होगी कि उसकी पत्नी एडल्ट्री में रह रही है उसे यह सब कोर्ट के अन्दर साबित करना होगा। और अगर वह यह साबित कर देता है तो पत्नी को पति से मेंटेनेंस मांगने का कोई अधिकार नहीं होगा। 
 पति अगर कोर्ट में यह साबित कर देता है कि उसकी पत्नी उसके साथ जानबूझकर नहीं रहना चाहती हैं और यह केस सिर्फ उसने अपने पति को परेशान करने के मकसद से कोर्ट में फाइल किए हैं तो भी पति अपनी पत्नी का मेंटेनेंस का केस कोर्ट से खारिज करवा सकता है

उदाहरण: जब पति पत्नी का आपस में झगड़ा हो जाता है और पत्नी अपना घर छोड़ कर अपने मायके चली जाती है और वह यह कह देती है कि वह अपने पति के साथ नहीं रहना चाहती तब भी पति अपनी पत्नी का मेंटेनेंस केस खारिज करवा सकता है।
  इसमें एक पॉइंट और भी है यदि पति-पत्नी आपसी समझौते से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं तब भी पति अपनी पत्नी का मेंटेनेंस केस खारिज करवा सकता है।
  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में एक प्रोविजन यह भी दिया गया है कि यदि पति इनमें से कोई भी बात साबित नहीं कर पाता और कोर्ट पति के खिलाफ़ मेंटेनेंस का ऑर्डर पास कर देती है लेकिन बाद में पति यह साबित कर देता है कि उसकी पत्नी एडल्ट्री में रह रही है, जानबूझकर उसके साथ नहीं रहना चाहती या उनका आपसी समझौता हुआ था अलग रहने का तो कोर्ट को पावर है कि वह पत्नी का मेंटेनेंस का आर्डर कैंसिल या कह सकते हैं खारिज कर दे।

कितने दिन में डिसाइड करनी होगी कोर्ट को interim maintenance application.
 
 जब कोर्ट में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 की पिटीशन दाखिल की जाती है तब उसके साथ एक  interim maintenance application लगाई जाती है उसे एप्लीकेशन को लगाने का मक़सद होता है कि पत्नी को केस के शुरुआती दौर मैं कुछ खर्चा दिलवाया जाए ताकि वह अपना भरण पोषण कर सके और कोर्ट को यह एप्लीकेशन 60 दिन के अंदर डिसाइड करनी होगी। यह 2 महीने जब से अकाउंट होंगे जब पति को कोर्ट का नोटिस मिल जाएगा। कई बार यह देखने को मिलता है की कोर्ट केस फाइल करने की तारीख से खर्चा बांध देता है और कई बार देखा गया है कि कोर्ट डेट ओफ ऑर्डर से खर्चा देने का आर्डर कर देता है यह दोनों बातें कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करती हैं
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अगर पति-पत्नी के साथ रहना चाहता है तब।

  कई बार देखा गया है कि पति कोर्ट में यह दलील देता है कि मैं अपनी पत्नी को अपने साथ रखना चाहता है और उसके भरण पोषण की संपूर्ण जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार है लेकिन उसके बावजूद भी पत्नी उसके साथ नहीं जाना चाहती। ऐसे में कोर्ट यह देखती है कि पत्नी का पति से अलग रहने का जायज कारण है तब ऐसे हालातो में कोर्ट पति की दलील को अस्वीकार कर सकती है।

कब तक मिलेगा पत्नी को मेंटेनेंस? 

 अगर पति ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया है या पत्नी ने अपने पति को तलाक दे दिया है दोनों ही हालातो में पत्नी को अधिकार है कि वह अपने पति से मेंटेनेंस ले सकती है जब तक वह दोबारा से री मैरिज ना कर ले यानी कि दूसरी शादी ना कर ले और वह जब तक दूसरी शादी नहीं करती उसको अपने पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा। और यह अधिकार पत्नी को जब तक रहेगा या तो पत्नी मर जाए या आप खुद मर जाओ।
  अगर पति-पत्नी आपसी समझौते से तलाक कर लेते हैं और पत्नी अपना भरण पोषण के अधिकार को समझौते के तहत समाप्त कर देती है तब पत्नी का मेंटेनेंस का अधिकार हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।

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