अब गिफ्ट डीड से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक। अब आ गया कानून। Gift deed
अब गिफ्ट डीड से नहीं मिलेगा संपत्ति का मालिकाना हक।
गिफ्ट डीड बनाने के फायदे
गिफ्ट डीड को बनाने के काफी ज्यादा फायदे होते हैं। इसमें पैसों का लेनदेन होना अनिवार्य नहीं है, यानी की गिफ्ट डीड के लिए पैसों का लेनदेन होना अनिवार्य नहीं होता, इसलिए गिफ्ट बनाना बहुत आसान है और बड़ी ही आसानी से किसी को भी अपनी संपत्ति ट्रांसफर की जा सकती है,
वह कमी जिस की वजह से गिफ्ट डिड अमान्य/अवैध घोषित हो सकती है।
प्रॉपर्टी को ट्रांसफर करने के लिए अनेकों माध्यम है, सेल डीड, गिफ्ट डीड, विल वसीयत, रिलीज डीड आप इन सभी माध्यम से अपनी प्रॉपर्टी किसी को ट्रांसफ़र या दे सकते हैं, लेकिन गिफ्ट डीड को इन सभी में सबसे सरल माध्यम माना जाता है जिसके द्वारा आप अपनी संपत्ति या मूल्यवान चीज किसी को ट्रांसफर कर सकते हैं गिफ्ट डीड द्वारा। इस गिफ्ट डीड को रजिस्टर करना अनिवार्य है अगर आप धारा 17 रजिस्ट्रेशन एक्ट देखें तो वहां यह बात बताई गई है,
आप भी किसी तरह की कोई गिफ्ट डीड बनवाए या बनाएं तो उसको रजिस्टर जरूर करवाएं क्योंकि बिना रजिस्टर की गिफ्ट डीड को साबित करना बहुत मुश्किल कार्य हो जाता है,
गिफ्ट डीड बनवाने के समय जिसके नाम यह गिफ्ट डीड बनाई गई है उसको किसी भी तरह का कोई पैसो खर्चा नहीं करना होता।और इसमें एक बात समझने की है कि यदि आप गिफ्ट डिड में पैसों का लेनदेन करते हैं तो यह गिफ्ट डीड अमान्य मानी जाएगी।
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के दो बड़े प्रोविजंस
ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट के दोनों प्रोविजंस आपको पता होने चाहिए, धारा 122 और धारा 123 ट्रांसफर ओफ प्रॉपर्टी एक्ट जिसमें गिफ्ट को संक्षिप्त में बताया गया है
जब हम कोई गिफ्ट डीड बनाते हैं और यह गिफ्ट डीड जिसके फेवर में बनाई गई होती है उसको भी यह गिफ्ट डीड स्वीकार करनी होती या यह कहें सकते हैं कि स्वीकार करना अनिवार्य है यदि वह इस गिफ्ट डीड को स्वीकार नहीं करते और कब्जा नहीं करते तो यह गिफ्ट डीड अमान्य मानी जाएगी।अगर आप किसी को कोई गिफ्ट डीड करते हैं तो उसका रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है जैसा की धारा 17 में बताया गया था।
गिफ्ट डीड स्वीकार कब मानी जाएगी
यदि आप उस गिफ्ट डीड से जुड़ी संपत्ति का कोई कानूनी कागज बनवा लेते हैं या उसे संपत्ति पर अपना कब्जा क़ायम कर लेते हैं तो इसको गिफ्ट डीड स्वीकार माना जाएगा। और अगर आप इन दोनों में से कोई कार्य नहीं करते तो वह गिफ्ट डीड अवैध मानी जाएगी।
केरल हाई कोर्ट का लेटेस्ट जजमेंट
केस टाइटल है
KAKKOTH RADHA
VS
BATHAKKATHLAKKAL BATLAK MUSTHAFFA AND OTHER
DATE OF JUDGEMENT 12/6/24
केरल हाई कोर्ट ने इस जजमेंट में यह बताया कि यदि कोई गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड भी है पर गिफ्ट डीड जब तक दूसरे व्यक्ति(जिसके नाम गिफ्ट डीड बनाई गई है) वह उसे स्वीकार नहीं करता और कब्जा नहीं करता।तब तक वह गिफ्ट डीड मान्य नहीं होगी और उसे गिफ्ट डीड को अवैध माना जाएगा।
केरल में एक व्यक्ति ने अपनी जमीन के कुछ हिस्सों को अपनी बेटी के नाम गिफ्ट डीड कर दी, और कुछ समय बाद उसने उस गिफ्ट डीड को कैंसिल करवा दिया, और गिफ्ट डीड कैंसिल करने के बाद उसने वह गिफ्ट डीड अपने पोते के नाम कर दी, और विवाद यही से शुरू हुआ जब यह मामला कोर्ट में पहुंचा तो बेटी की तरफ से यह बात रखी गई कि यह गिफ्ट डीड तो मेरे नाम पहले से ही की जा चुकी है तो यह गिफ्ट किसी और के नाम कैसे की जा सकती है इसमें दूसरी पार्टी द्वारा कहा गया कि उस गिफ्ट डीड को पहले ही कैंसिल कराया जा चुका था और यह नए तरीके से गिफ्ट डीड बनाई गई थी जिसमें यह गिफ्ट डीड उसने अपने पोते को दी थी। तो केरला हाईकोर्ट ने इसमें यह पाया कि जो बेटी को गिफ्ट डीड की गई थी उसमें बेटी ने उसको स्वीकार ही नहीं करा था यानी की बेटी का ना ही उसे प्रॉपर्टी पर कोई फिजिकल कब्जा था और ना ही उससे जुड़ा कोई कागज उसने बनवाया था।
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