अब कोर्ट खुद करेगा आपके विरोधी का केस खारिज। Jhuthe Case Ko Khatm Karne Ka Tarika.
अब कोर्ट खुद करेगा आपके विरोधी का केस खारिज।
आज हम आप के लिए सुप्रीम कोर्ट की 2024 की एक महत्वपूर्ण जजमेंट लेकर आए हैं। अक्सर देखा जाता था था कि दूसरी पार्टी एक बड़ा वकील करती है और खूबसारा पैसा इसके बाद दूसरी पार्टी पर दबाव बनाने के लिए उस के ऊपर झूठा केस कोर्ट में कर देते हैं ताकि दूसरी पार्टी पर दबाव बनाया जा सके।Court case ko khatm karane ke tarike.
कोर्ट केस कैसे खारिज करें।
कई बार जिसके खिलाफ केस फाइल किया जाता है फाइनेंशली स्ट्रांग नहीं होता और कई बार कोर्ट दूसरी पार्टी का केस स्वीकार कर लेती है और वह व्यक्ति जिसकी कोई गलती नहीं होती सालों साल मुकदमे में फंसा रहता है जिसमें दूसरी पार्टी ने अपनी चालाकी दिखाते हुए उसके खिलाफ कोर्ट में केस दर्ज कर दिया।
ज्यादातर यह चीज देखी जाती है लिमिटेशन एक्ट के अंदर। की कोई भी केस जो कि कोर्ट में फाइल किया गया है वह समयसीमा के अंदर कोर्ट मैं फाइल गया है कि नहीं।
लिमिटेशन एक्ट होता क्या है?
धारा 3 लिमिटेशन एक्ट धारा 4 से 24 लिमिटेशन एक्ट में बताया गया है कि यदि कोई भी केस कोर्ट फाइल किया जाता तो सभी केसो की एक समय सीमा होती है (सिर्फ अपराधिक मामलों को छोड़कर) यदि कोई केस समय सीमा में फाइल नहीं किया गया है तो कोर्ट को पावर है कि वह उस केस को खारिज कर दे।
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लेकिन वकील अपनी कानूनी जानकारी और केस को इस तरह से बनाते हैं कि वह केस कोर्ट में फाइल हो जाता है और कोर्ट दूसरी पार्टी को समन/नोटिस भेज देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर 2024 में अपनी क्या जजमेंट?
जब यही सवाल सुप्रीमकोर्ट के सामने आया तो सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर निर्धारित कर दिया कि यदि दूसरी पार्टी समय सीमा की राहत नहीं भी मांगे तो कोर्ट की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस चीज को देखें और यदि केस समय सीमा के अंदर फाइल नहीं किया गया तो कोर्ट को अधिकार है उसे मुकदमे को खारिज करने का।
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क्या था वह केस जिस पर सुप्रीम कोर्ट को देनी पड़ी यह जजमेंट।
केस का टाइटल हैएस शिवराज रड्डी वर्सिज एस रघुराजरेड्डीसिविल सूट नबर 4237/2015
प्रेजेंट केस में जो विवाद है वह एक पार्टनरशिप फर्म को लेकर था जिसमें फार्म के एक पार्टनर की मृत्यु हो गई थी। और अगर इस पार्टनरशिप फर्म में कोई कानूनी विवाद होता है तो केस फाइल करने की एक समय सीमा थी जो की 3 साल थी, लेकिन प्रेजेंट केस मे एक पार्टनर की मृत्यु 1984 में हो गई थी और दूसरी पार्टी कोर्ट में केस 1996 में लेकर आई करीबन करीबन 12 साल बाद। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि दूसरी पार्टी द्वारा अपने बचाव में समय सीमा की अवधि को चैलेंज नहीं किया गया तो भी कोर्ट को देखना चाहिए कि वह केस समय सीमा के अंदर फाइल किया गया होना चाहिए है और कोर्ट को स्वयं से संज्ञान लेते हुए उस केस को खारिज करना चाहिए।
कोर्ट केस खारिज करने के और भी कई कानूनी रास्ते हैं क्योंकि हर केस की अलग-अलग कानूनी प्रक्रिया होती है
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Conclusion:
झूठे केस को खारिज करने के तरीके।
अपने खिलाफ केस को कैसे कानूनी तौर पर खारिज कराये।
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