क्या है सेगोल विवाद? सैगोल का इतिहास। समाजवाद पार्टी का सेगोल को लेकर विवाद।

सैगोल क्या होता है?

सैगोल स्वर्ण पदक वाला एक राजदंड है। इसका इतिहास चोल साम्राज्य से जुड़ा है जब नए राजा का राजतिलक होता था उसे समय सैगोल भेंट किया जाता था।

सैगोल का 1947 का इतिहास।

1947 में धार्मिक मठ- अधीनम के प्रतिनिधि ने सैगोल भारत गणराज्य के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया था। उसके कुछ समय बाद उसे इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया और उस सैगोल का इस्तेमाल किसी भी सरकार ने नहीं किया लेकिन नरेन्द्र मोदी की सरकार आने के बाद इस सैगोल का पूर्णता इस्तेमाल किया गया। यह सैगोल चांदी का बना हुआ था अब इसके ऊपर सोने की परत चढ़ा दी गई है 28 में 2023 को नई संसद के उद्घाटन की शुरुआत में अधीनम पुजारियों ने एक पारंपरिक पूजा की जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया,और मोदी सम्मान के प्रतिक पवित्र सेगोल के सामने झुके, और अधीनम पुजारियों ने पीएम मोदी को प्रस्तुत किया, और यह सैगोल हमारे देश की नहीं संसद भवन में रखा गया है। जो कि राष्ट्रपति की सीट के निकट रखा होता है

 समाजवाद पार्टी का ववाद।

संसद भवन के पहले ही सत्र में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव द्वारा इस सैगोल का विरोध किया गया और उन्होंने इसे धर्म के साथ जोड़ना शुरु कर दिया जो कि धर्म से इसका इसका कोई लेना देना नहीं यह सिर्फ आजादी के वक्त जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था और यह सैगोल आजादी से पहले इंग्लैंड की महारानी के पास था और 15/8/1947 तारीख से 15 मिनट पहले जवाहरलाल नेहरू को दिया गया था, इंग्लैंड की रानी से वापस लेकर।

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